1965 में ₹100 से 2025 में 1 लाख पार: सोने की कीमतों का चमकदार सफर
सोना, जिसे भारत में सांस्कृतिक और आर्थिक संपदा का प्रतीक माना जाता है, सोने ने 60 वर्षों में एक ऐतिहासिक छलांग लगाई है। 1965 में 10 ग्राम सोने की कीमत जहां मात्र ₹100 थी, वहीं 2025 में यह ₹1,00,000 के आंकड़े को पार कर चुकी है। यह वृद्धि न केवल निवेशकों के लिए बल्कि भारतीय समाज और अर्थव्यवस्था के लिए भी एक महत्वपूर्ण पड़ाव है। आइए, इस सुनहरे सफर के कारणों और प्रभावों पर एक नजर डालें।
60 साल में सोने का शानदार प्रदर्शन
1965 में भारत में सोना एक किफायती निवेश और आभूषण का साधन था, जिसकी कीमत 10 ग्राम के लिए ₹100 के आसपास थी। इसके बाद वैश्विक और घरेलू कारकों ने सोने की कीमतों को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया। 1980 में यह ₹1,330, 2000 में ₹4,400, और 2020 में ₹48,651 प्रति 10 ग्राम तक पहुंच गया। 2025 में, सोने ने ₹1,00,000 का आंकड़ा पार कर लिया, जो पिछले पांच वर्षों में 25% से अधिक की वृद्धि को दर्शाता है।
कीमतों में उछाल के प्रमुख कारण
सोने की कीमतों में कई कारक जिम्मेदार हैं:
वैश्विक आर्थिक अस्थिरता: 2025 में वैश्विक अर्थव्यवस्था में अनिश्चितता, खासकर अमेरिका-चीन व्यापार तनाव और बढ़ती महंगाई ने सोने को सुरक्षित निवेश के रूप में लोकप्रिय बनाया।
डॉलर की कमजोरी: अमेरिकी डॉलर के मूल्य में गिरावट ने सोने की मांग को और बढ़ाया, क्योंकि निवेशक इसे मुद्रा मूल्यह्रास के खिलाफ ढाल मानते हैं।
चीन और भारत की मांग: चीन ने 2025 की पहली तिमाही में 12.8 टन सोना खरीदा, जबकि भारत में शादी-विवाह और त्योहारों जैसे अक्षय तृतीया और दीवाली के मौके पर सोने की खरीदारी ने मांग को बढ़ाया।
भू-राजनीतिक तनाव: मध्य पूर्व और अन्य क्षेत्रों में बढ़ते तनाव ने निवेशकों को सोने की ओर आकर्षित किया।
2025 में सोने की रिकॉर्ड कीमतें
22 अप्रैल 2025 को दिल्ली में 24 कैरेट सोने की कीमत ₹1,01,500 प्रति 10 ग्राम और 22 कैरेट सोने की कीमत ₹93,050 थी।
सामाजिक और आर्थिक प्रभाव
सोने की कीमतों में यह उछाल भारतीय समाज पर भी असर डाल रहा है। शादी-विवाह जैसे अवसरों पर सोने की खरीदारी अब महंगी पड़ रही है, जिससे मध्यम वर्ग के परिवारों को अपने बजट में कटौती करनी पड़ रही है। वहीं, सोने के निवेशकों, खासकर लंबी अवधि के लिए निवेश करने वालों को इस वृद्धि से भारी मुनाफा हुआ है।