बाड़मेर के जाट नेता अब हनुमान बेनीवाल के प्रभाव को खत्म करने में जुटे

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बाड़मेर के जाट नेता अब हनुमान बेनीवाल के प्रभाव को खत्म करने में जुटे

राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के प्रमुख एवं नागौर से सांसद हनुमान बेनीवाल का नागौर के बाद सबसे ज्यादा प्रभाव बाड़मेर में माना जाता था, 2023 के अंत में हुए विधानसभा चुनावों के बाद हनुमान बेनीवाल और उनकी राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी की बाड़मेर में परिस्थितियां बदलती नजर आ रही हैं।

बाड़मेर में आरएलपी का गढ़ बायतु माना जाता हैं पर यहां से उम्मेदाराम बेनीवाल मामूली अंतर से चुनाव हार गए थे।

लेकिन लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस के नेताओं ने कांग्रेस से दूर हो रहे जाट वोट बैंक को साधने के लिए आरएलपी के नेता उम्मेदाराम बेनीवाल को अपने साथ मिला लिया।

हालांकि उम्मेदाराम बेनीवाल लोकसभा चुनाव कांग्रेस पार्टी से लड़ें और चुनाव जीत भी गए, कांग्रेस के नेताओं का यह कदम राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के लिए सबसे बड़ा घातक सिद्ध हुआ।

लोकसभा चुनाव के दौरान भी हनुमान बेनीवाल ने मतदान से एक दिन पहले उम्मेदाराम बेनीवाल के प्रति नाराजगी जताई थी।

आरएलपी के एक गुट ने लोकसभा चुनाव में भाजपा को समर्थन दिया था।

बेनीवाल का प्रभाव कम करना चाहते हैं जाट नेता

हनुमान बेनीवाल का जाट वोट बैंक पर अच्छा खासा प्रभाव हैं, ऐसे में बाड़मेर क्षेत्र के जाट नेता इस क्षेत्र में हनुमान बेनीवाल का प्रभाव कम करना चाहते हैं, विधानसभा चुनाव के बाद हनुमान बेनीवाल ने अभी तक एक बार भी बाड़मेर का दौरा नहीं किया।

जाट समाज के कई कार्यक्रमों में भाजपा एवं कांग्रेस के नेता एक साथ नजर आए लेकिन हनुमान बेनीवाल किसी भी कार्यक्रम में नजर नहीं आए।

विधानसभा चुनाव से पहले भी जयपुर में आयोजित जाट समाज के दो बड़े कार्यक्रमों में हनुमान बेनीवाल मौजूद नहीं थे।

हनुमान बेनीवाल अक्सर हरीश चौधरी, हेमाराम चौधरी, उम्मेदाराम बेनीवाल पर बयान देते रहते हैं, हनुमान बेनीवाल कई बार मीडिया में भी कह चुके हैं कि एक धड़ा उनकी पार्टी को कमजोर करने का प्रयास कर रहा हैं।

हनुमान बेनीवाल को बाड़मेर में अब राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी का नेतृत्व करने के लिए बड़े नेता का जरुरत महसूस हो रही हैं, इसीलिए वो बार-बार कांग्रेस नेताओं पर आरोप लगाते हैं कि उन्होंने उनके नेताओं को तोड़ने का काम किया।

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