पाबूजी राठौड़ का इतिहास , Pabuji Rathore

3 Min Read
पाबूजी राठौड़ का इतिहास, पाबूजी का इतिहास, पाबूजी की कथा, पाबूजी राठौड़ की कथा, pabuji Rathore ka itihaas, pabuji Rathore ki history, pabuji ki kahani,pabuji Ji ki katha

पाबूजी का इतिहास

पंच पीरों में शामिल पाबुजी का जन्म जोधपुर के कोलू गांव में 1239 ईस्वी को हुआ। हालांकि आशिया मोड़जी ,दसवीं कक्षा की बोर्ड किताब के अनुसार , मुहणोत नैणसी के अनुसार इनका जन्म बाड़मेर बताया जाता है।

अगर आप भी turecaller यूज करते हैं तो हो जाए सावधान…..

पाबूजी के पिता का नाम धान्धल जी राठौड़ था एवं पाबूजी की माता का नाम कमला दे था पाबूजी के एक बहन थी जिनका नाम सोहन बाई बताया जाता है। सोहन बाई का विवाह जायल नागौर के जिंद राव खिची के साथ हुआ। मारवाड़ में ऊंट लाने का श्रेय पाबूजी को दिया जाता है एवं ऊंट पालक जाति राईका पाबूजी को आराध्य देवता मानती है पाबूजी की शादी अमरकोट के सोढा शासक सूरजमल की पुत्री फूलम दे के साथ हुई। पाबूजी के एक पुत्र हुआ जिसका नाम बुढो जी राठौड़ रखा, पाबूजी का प्रिय वाहन केसर कालवी घोड़ी थी। एवं पाबूजी के गुरु का नाम समरथ भारती था पाबूजी को गायों का मुक्तिदाता, प्लेग के रक्षक , लक्ष्मण का अवतार, ऊंटों का देवता ,हाड फाड के देवता कहते हैं।

विश्नोई सम्प्रदाय के नियमों का विवरण

पाबूजी के सहयोगी डेमा नायक , हरमल रबारी एवं सेलजी सोलंकी थी। ऊंटों के बीमार होने पर पाबूजी की फड़ का वाचन किया जाता है, पाबूजी की फड़ चांदी से निर्मित होती है एवं राजस्थान में सबसे लोकप्रिय फड़ पाबूजी की फड़ ही है, पाबूजी की फड़ में वाद्ययंत्र रावण्हत्ता का प्रयोग होता है। मैहर जाति के मुसलमान पाबूजी को पीर मानकर पुजते हैं। पाबू जी के मंदिर में थाली नृत्य किया जाता है ‌‌‌‌‌।

बताया जाता है कि पाबूजी एक महिला से केसर कालवी घोड़ी को खरीदते हैं लेकिन इसी घोड़ी को पाबूजी का बहनोई जिंद राव खिची खरीदना चाहता है। और इसीलिए पाबूजी ने घोड़ी के मालकिन को उसकी रक्षा का वचन दिया एवं पाबु जी की जिस दिन शादी हो रही थी उसी दिन मौका पाकर जिंद राव खिंची ने उस महिला की गायों को चोरी कर दिया इसके बाद जब पाबूजी को पता चलता है तो पाबूजी अपने बहनोई के साथ ही युद्ध करते हैं एवं पाबूजी युद्ध में 1276 में देसु गांव में वीरगति को प्राप्त हो जाते हैं।

पाबूजी के बारे में मुख्य ग्रंथ पाबू प्रकाश ,पाबूजी री बाता ,पाबूजी रा दोहा, पाबू प्रकाश रा सोरठा ,पाबूजी रा छंद है।

राजस्थान के पंचपीर कौन है? Rajasthan ke panch peer

Share This Article
Exit mobile version