राजस्थान में फिर तीसरे मोर्चे की आहट : कांग्रेस के लिए सकती हैं मुसीबत , औवेसी की राजस्थान में सभाएं

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राजस्थान की राजनीति में एक बार फिर तीसरे मोर्चे की आहट सुनाई दे रही है , जिस प्रकार 2018 के विधानसभा चुनाव में आरएलपी ने बीजेपी के वोट बैंक का नुकसान किया , उसी तरह इस बार कांग्रेस का नुकसान करने के लिए एआईएमआईएम राजस्थान में अपने पैर पसारने की तैयारी में है ‌‌।

बुधवार से एआईएमआईएम के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी जयपुर और सीकर में 13 जगहों पर अपना संबोधन देंगे एवं सभाएं आयोजित करेंगे।

असदुद्दीन ओवैसी का मुख्य फोकस राजस्थान के 15 जिलों की 36 सीटों पर हैं , इन सीटों पर मुस्लिम वोटर्स का अच्छा खासा प्रभाव है।

राजस्थान में मुस्लिम वोटर कांग्रेस का शुरुआत से समर्थित वोटर रहा है , और ऐसे में असदुद्दीन ओवैसी कांग्रेस को नुकसान पहुंचा सकते हैं ‌‌। अगर राजस्थान में ओवैसी की एआईएमआईएम सफल होती है तो यह बिहार के बाद दूसरा राज्य होगा जहां पर ओवैसी अपना प्रभाव जमा पाएंगे।

हालांकि आम आदमी पार्टी के केजरीवाल की नजरें भी गुजरात और राजस्थान के विधानसभा चुनावों पर है , लेकिन अरविंद केजरीवाल का मुख्य फोकस फिलहाल गुजरात के चुनाव पर दिखाई पड़ता है और असदुद्दीन ओवैसी राजस्थान पर अपनी निगाहें टिकाए हुए हैं।

पिछली बार 7 विधानसभा सीटों पर अपना परचम लहराने वाली बीएसपी भी इस बार अपने जिताऊ एवं टिकाऊ उम्मीदवारों की तलाश में है।

वहीं राजस्थान की स्थानीय पार्टियां आरएलपी एवं बीटीपी बात की जाए तो आरएलपी इन दिनों इतनी सक्रिय दिखाई नहीं पड़ती है , राजनीतिक जानकारों के अनुसार आरएलपी विधानसभा चुनाव के वक्त किसी पार्टी के साथ गठबंधन का अलाउंस कर सकती है , आरएलपी का राजस्थान के बाड़मेर , जोधपुर , नागौर , सीकर सहित करीब 6 से 7 जिलों में प्रभाव देखने को मिलता है , लेकिन बीटीपी का दो से तीन जिलों में अच्छा प्रभाव देखने को मिल रहा है।

यानी कि कहा जाए तो राजस्थान में तीसरी पार्टी के रूप में उभरने के लिए कई पार्टियां जंग में शामिल हो चुकी है । भीम आर्मी के प्रमुख चंद्रशेखर भी इस बार विधानसभा चुनाव में ताल ठोक सकते हैं , चंद्रशेखर एससी एसटी बाहुल्य क्षेत्रों में अपनी पार्टी के उम्मीदवार उतार सकते हैं , लेकिन चंद्रशेखर के राजस्थान में सफल होने के आसार कम दिखाई पड़ते हैं।

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